खंड – ‘क’
1. नीचे लिखे काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लगभग 20 शब्दों में लिखिए ।
शांति नहीं तब तक, जब तक,
सुख भाग न सबका सम हो । नहीं किसी का बहुत अधिक हो,
नहीं किसी का कम हो। स्वत्व माँगने से न मिले,
संघात पाप हो जाएँ। बोलो धर्मराज, शोषित वे
जियें या कि मिट जाएँ ? न्यायोचित अधिकार माँगने
से न मिले, तो लड़ के तेजस्वी छीनते समर को
जीत या कि खुद मर के किसने कहा पाप है समुचित
स्वत्व प्राप्ति-हित लड़ना ?
उठा न्याय का खड्ग समर में
अभय मारना मरना ?
(क) काव्यखण्ड का संदेश अपने शब्दों में लिखिए ।
(ख) तेजस्वी लोगों की क्या पहचान है ?
(ग) धर्मराज से क्या पूछा गया है ?
(घ) कौन सा युद्ध निष्पाप माना गया है ?
(ङ) शांति के लिए क्या आवश्यक है ?
खंड – ‘क’
शांति नहीं तब तक, जब तक,
सुख भाग न सबका सम हो । नहीं किसी का बहुत अधिक हो,
नहीं किसी का कम हो। स्वत्व माँगने से न मिले,
संघात पाप हो जाएँ। बोलो धर्मराज, शोषित वे
जियें या कि मिट जाएँ ? न्यायोचित अधिकार माँगने
से न मिले, तो लड़ के तेजस्वी छीनते समर को
जीत या कि खुद मर के किसने कहा पाप है समुचित
स्वत्व प्राप्ति-हित लड़ना ?
उठा न्याय का खड्ग समर में
अभय मारना मरना ?
(क) काव्यखण्ड का संदेश अपने शब्दों में लिखिए ।
(ख) तेजस्वी लोगों की क्या पहचान है ?
(ग) धर्मराज से क्या पूछा गया है ?
(घ) कौन सा युद्ध निष्पाप माना गया है ?
(ङ) शांति के लिए क्या आवश्यक है ?
अब प्रश्न यह है कि हम सरल कैसे बनें । सीधा सा उत्तर है, सरल रहें । जो मन में है उसे कह डालें लेकिन पूरी शालीनता से । कम-से-कम एक मुसकराहट बिखेर दें, स्वयं को स्वीकारें और दूसरों को भी । सरलता आती जाएगी । जो व्यक्ति पल-पल घटती घटनाओं को दर्शक की तरह देखता रहता है, चीज़ों को पकड़कर नहीं बैठता, बोलने की क्षमता होने पर भी एक भी शब्द व्यर्थ नहीं बोलता वही मितभाषी है ।मितभाषी इस रहस्य को जानता है कि मौन ही सर्वोत्तम भाषण है । कम-से-कम बोलना, एक शब्द से काम चले तो दो का प्रयोग न करना मितभाषी के लक्षण हैं, जो मौन की साधना का प्रथम चरण है । कम बोलने का अभ्यास धीरे-धीरे करना पड़ता है। केवल आवश्यकता पड़ने पर ही सारयुक्त शब्दों का प्रयोग करने से हमबहुत-सी शक्ति के अपव्यय से बच सकते हैं।विचार ही वाणी और सारी क्रियाओं का मूल होता है । इसलिए वाणी और क्रिया भी विचार का ही अनुसरण करती हैं। नियंत्रित विचार खुद ही सर्वोच्च प्रकार की शक्ति है । मनुष्य जाने-अनजाने अतिशयोक्ति करता है, या जो बातें कहने योग्य हैं उन्हें छिपाता है, या उन्हें दूसरे ढंग से कहता है । ऐसी स्थिति से बचने के लिए मितभाषी होना जरूरी है । कम बोलने वाला आदमी बिना विचारे नहीं बोलेगा, वह अपने हर शब्द को तौलकर ही प्रयोग करेगा।
जब आप मौन का नियमित अभ्यास करते हैं, तो वह आपकी शारीरिक और आध्यात्मिक आवश्यकता बन जाता है। प्रारंभ में काम के दबाव से राहत पाने में भी मौन से मदद मिलती है । धीरे-धीरे आपको मौन के
समय अपने भीतर शक्ति और क्षमता का अनुभव होने लगता है । गीता में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसी वाणी जो उत्तेजित न करे, सच्ची, प्रिय और हितकारी हो उसे वाणी की तपस्या कहते हैं और यह तपस्या करना दुष्कर तो है किंतु असंभव नहीं है।
(क) “मनुष्य जाने-अनजाने अतिशयोक्ति करता है” – कैसे ? इससे कैसे बचा जा सकता है ?
(ख) मौन के दो लाभों की चर्चा कीजिए।
(ग) वाणी की तपस्या किसे कहा गया है ? समझाइए ।
(घ) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
(ङ) लेखक ने व्यक्तित्व को सरल बनाने के क्या उपाय बताए हैं ?
(च) मितभाषी किसे कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिए ।
(छ) आशय स्पष्ट कीजिए, ‘मौन ही सर्वोत्तम भाषण है।’
(ज) कम बोलने से क्या लाभ हैं और अधिक बोलने का क्या परिणाम होता है ?
खंड – ‘ख’
1×5=5
(क) जनसंचार के दो कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
(ख) रेडियो समाचारों की भाषा की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ग) प्रिंट मीडिया किसे कहते हैं ?
(घ) संपादकीय किसे कहते हैं ?
(ङ) पत्रकारिता का मूल तत्त्व क्या है ?
(क) किसान का एक दिन
(ख) मोबाइल के बिन एक दिन (ग) क्यों पढूँ मैं हिंदी (घ) परिश्रम का कोई विकल्प नहीं
6.‘बदलता ग्रामीण परिवेश’ विषय पर एक आलेख 150 शब्दों में लिखिए।
अथवा
हाल ही में आपके द्वारा पढ़ी गई किसी कहानी की पुस्तक की संतुलित समीक्षा लिखिए ।
7.दैनिक समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर कुछ लोगों के द्वारा स्वच्छता अभियान के महत्त्व को कम आँकने और इसके प्रति अपनाए जा रहे उपेक्षा भरे व्यवहार पर चिंता व्यक्त कीजिए । (150 शब्दों में)
खंड – ‘ग’
कितने उपयोगी रहे ? लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए ।
(क) ‘बात सीधी थी’ कविता में भाषा को सहूलियत से बरतने से कवि का क्या अभिप्राय है ?
(ख) अट्टालिकाओं को आतंक का पर्याय कहने के पीछे कवि ‘निराला’ का क्या भाव है ?
(ग) उमाशंकर जोशी की कविता में रस का अक्षय पात्र’ किसे कहा गया है और क्यों ?
2×3 = 6
नील जल में या किसी की, गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।
और ….
जादू टूटता है
इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है।
(क) काव्यांश का बिंब स्पष्ट कीजिए।
(ख) प्रस्तुत काव्यांश के अलंकार सौंदर्य पर प्रकाश डालिए ।
(ग) काव्यांश का भाव-सौन्दर्य लिखिए ।
धूत कहौ, अवधूत कहौ, रजपूतु कहौ, जोलहा कहौ कोऊ ।
काहू की बेटीसों बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगार न सोऊ ।।
तुलसी सरनाम गुलामु है राम को, जाको रुचै सो कहै कछु ओऊ।
माँगि कै खैबो, मसीत को सोइबो, लैबेको एक न दैबको दोऊ ।।
(क) काव्यांश के आधार पर तुलसी के समय के समाज की दो विशेषताएँ बताइए ।
(ख) तुलसीदास को किस बात का कोई अंतर नहीं पड़ता और क्यों ?
(ग) तुलसी किस बात पर गर्व अनुभव करते हैं ? और क्यों ?
(घ) कैसे कहा जा सकता है कि उक्त सवैये में तुलसी का स्वाभिमानी व्यक्तित्व झलकता है ?
अथवा
मैं और, और जग और कहाँ का नाता, मैं बना-बना कितने जग रोज़ मिटाता; जग जिस पृथ्वी पर जोड़ा करता वैभव, मैं प्रति पग से उस पृथ्वी को ठुकराता ! मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ, शीतल वाणी में आग लिए फिरता हूँ, हों जिस पर भूपों के प्रासाद निछावर,
मैं वह खंडहर का भाग लिए फिरता हूँ। (क) कवि स्वयं को संसार से अलग क्यों मानता है ?
(ख) कवि ने खंडहर का भाग किसे कहा है और क्यों ? (ग) रोदन में राग लिए फिरने से कवि का क्या आशय है ?
(घ) कवि-कर्म के प्रति व्यक्त दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
12. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर प्रत्येक लगभग 30 शब्दों में दीजिए :
हम आज देश के लिए क्या करते हैं ? माँगें हर क्षेत्र में बड़ी-बड़ी हैं पर त्याग का कहीं नाम-निशान नहीं है । अपना स्वार्थ आज एकमात्र लक्ष्य रह गया है । हम चटखारे लेकर इसके या उसके भ्रष्टाचार की बातें करते हैं पर क्या कभी हमने जाँचा है कि अपने स्तर पर, अपने दायरे में हम उसी भ्रष्टाचार के अंग तो नहीं बन रहे हैं ? काले मेघा दल के दल उमड़ते हैं, पानी झमाझम बरसता है, पर गगरी फूटी-की-फूटी रह जाती है, बैल पियासे-के-पियासे रह जाते हैं ? आखिर कब बदलेगी यह स्थिति ?
(क) भ्रष्टाचार की चर्चा करते हुए लेखक क्या अपेक्षा करता है और क्यों ?
(ख) ‘बैल पियासे-के-पियासे रह जाते हैं’ कथन से लेखक का क्या आशय है ?
(ग) आपके विचार से यह स्थिति कब और कैसे बदलेगी ?
(घ) लेखक के अनुसार आज हमारे समाज में कैसी प्रवृत्ति दिखाई पड़ती है ?
थी।” लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए ।
(ख) “प्रतिकूलता में अनुकूलन करने की क्षमता है।” “जूझ’ पाठ में उल्लिखित इस बात से आप कहाँ तक
सहमत हैं और क्यों ? लगभग 150 शब्दों में उत्तर दीजिए।
(क) पहलवान की ढोलक की आवाज पूरे गाँव के मरणासन्न लोगों की सहायता कैसे कर रही थी ?
(ख) भक्तिन अपना नाम क्यों बदलना चाहती थी ? लेखिका ने इस सन्दर्भ में क्या कहा है ?
(ग) आप बाजार जाते समय उसके जादू से बचने के लिए क्या उपाय करेंगे ?
(घ) ‘लाहौर अभी तक मेरा वतन है।’ इस कथन से व्यक्त वेदना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
(ङ) शिरीष की तुलना किससे की गई है और क्यों ?