सामान्य निर्देश :
(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं – क, ख, ग और घ ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है ।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमशः दीजिए ।
खण्ड क
1.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
लोकतंत्र के मूलभूत तत्त्व को समझा नहीं गया है और इसलिए लोग समझते हैं कि सब कुछ सरकार कर देगी, हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं है । लोगों में अपनी पहल से ज़िम्मेदारी उठाने और निभाने का संस्कार विकसित नहीं हो पाया है । फलस्वरूप देश की विशाल मानव-शक्ति अभी ख़र्राटे लेती पड़ी है और देश की पूँजी उपयोगी बनाने के बदले आज बोझरूप बन बैठी है । लेकिन उसे नींद से झकझोर कर जाग्रत करना है । किसी भी देश को महान् बनाते हैं उसमें रहने वाले लोग । लेकिन अभी हमारे देश के नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी से बचते रहे हैं । चाहे सड़क पर चलने की बात हो अथवा साफ़-सफ़ाई की बात हो, जहाँ-तहाँ हम लोगों को गंदगी फैलाते और बेतरतीब ढंग से वाहन चलाते देख सकते हैं । फिर चाहते हैं कि सब कुछ सरकार ठीक कर दे ।
सरकार ने बहुत सारे कार्य किए हैं, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है । वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ खोली हैं, विशाल बाँध बनवाए हैं, फौलाद के कारखाने खोले हैं आदि-आदि बहुत सारे काम सरकार के द्वारा हुए हैं । पर अभी करोड़ों लोगों को कार्य में प्रेरित नहीं किया जा सका है।
वास्तव में होना तो यह चाहिए कि लोग अपनी सूझ-बूझ के साथ अपनी आंतरिक शक्ति के बल पर खड़े हों और अपने पास जो कुछ साधन-सामग्री हो उसे लेकर कुछ करना शुरू कर दें । और फिर सरकार उसमें आवश्यक मदद करे । उदाहरण के लिए, गाँववाले बड़ी-बड़ी पंचवर्षीय योजनाएँ नहीं समझ सकेंगे, पर वे लोग यह बात ज़रूर समझ सकेंगे कि अपने गाँव में कहाँ कुआँ चाहिए, कहाँ सिंचाई की ज़रूरत है, कहाँ पुल की आवश्यकता है । बाहर के लोग इन सब बातों से अनभिज्ञ होते हैं ।
(क) लोकतंत्र का मूलभूत तत्त्व है
(i) कर्तव्यपालन
(ii) लोगों का राज्य
(iii) चुनाव
(iv) जनमत
(ख) किसी देश की महानता निर्भर करती है
(i) वहाँ की सरकार पर
(ii) वहाँ के निवासियों पर
(iii) वहाँ के इतिहास पर
(iv) वहाँ की पूँजी पर
(ग) सरकार के कामों के बारे में कौन-सा कथन सही नहीं है ?
(i) वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ बनवाई हैं।
(ii) विशाल बाँध बनवाए हैं ।
(iii) वाहन-चालकों को सुधारा है ।
(iv) फ़ौलाद के कारखाने खोले हैं ।
(घ) सरकारी व्यवस्था में किस कमी की ओर लेखक ने संकेत किया है ?
(i) गाँव से जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों की भूमिका को नकारना
(ii) योजनाएँ ठीक से न बनाना
(iii) आधुनिक जानकारी का अभाव
(iv) ज़मीन से जुड़ी समस्याओं की ओर ध्यान न देना
(ङ) “झकझोर कर जागृत करना” का भाव गद्यांश के अनुसार होगा
(i) नींद से जगाना
(ii) सोने न देना
(iii) ज़िम्मेदारी निभाना
(iv) ज़िम्मेदारियों के प्रति सचेत करना
2.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
हरियाणा के पुरातत्त्व-विभाग द्वारा किए गए अब तक के शोध और खुदाई के अनुसार लगभग 5500 हेक्टेयर में फैली यह राजधानी ईसा से लगभग 3300 वर्ष पूर्व मौजूद थी । इन प्रमाणों के आधार पर यह तो तय हो ही गया है कि राखीगढ़ी की स्थापना उससे भी सैकड़ों वर्ष पूर्व हो चुकी थी।
अब तक यही माना जाता रहा है कि इस समय पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा और मुअनजोदड़ो ही सिंधुकालीन सभ्यता के मुख्य नगर थे । राखीगढ़ी गाँव में खुदाई और शोध का काम रुक-रुक कर चल रहा है । हिसार का यह गाँव दिल्ली से मात्र एक सौ पचास किलोमीटर की दूरी पर है । पहली बार यहाँ 1963 में खुदाई हुई थी और तब इसे सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर माना गया । उस समय के शोधार्थियों ने सप्रमाण घोषणाएँ की थीं कि यहाँ दबे नगर, कभी मुअनजोदड़ो और हड़प्पा से भी बड़ा रहा होगा ।
अब सभी शोध विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि राखीगढ़ी, भारत-पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान का आकार और आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा शहर था । प्राप्त विवरणों के अनुसार समुचित रूप से नियोजित इस शहर की सभी सड़कें 1.92 मीटर चौड़ी थीं । यह चौड़ाई कालीबंगा की सड़कों से भी ज़्यादा है । एक ऐसा बर्तन भी मिला है, जो सोने और चाँदी की परतों से ढका है । इसी स्थल पर एक ‘फाउंड्री’ के भी चिह्न मिले हैं, जहाँ संभवतः सोना ढाला जाता होगा । इसके अलावा टेराकोटा से बनी असंख्य प्रतिमाएँ ताँबे के बर्तन और कुछ प्रतिमाएँ और एक ‘फर्नेस’ के अवशेष भी मिले हैं।
मई 2012 में ‘ग्लोबल हैरिटेज फंड’ ने इसे एशिया के दस ऐसे ‘विरासत-स्थलों की सूची में शामिल किया है, जिनके नष्ट हो जाने का ख़तरा है ।
राखीगढ़ी का पुरातात्विक महत्त्व विशिष्ट है । इस समय यह क्षेत्र पूरे विश्व के पुरातत्त्व विशेषज्ञों की दिलचस्पी और जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है । यहाँ बहुत से काम बकाया हैं; जो अवशेष मिले हैं, उनका समुचित अध्ययन अभी शेष है । उत्खनन का काम अब भी अधूरा है ।
(क) अब सिंधु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर किसे मानने की संभावनाएँ हैं ?
(i) मुअनजो दड़ो
(ii) राखीगढ़ी
(iii) हड़प्पा
(iv) कालीबंगा
(ख) चौड़ी सड़कों से स्पष्ट होता है कि
(i) यातायात के साधन थे
(ii) अधिक आबादी थी
(iii) शहर नियोजित था
(iv) बड़ा शहर था
(ग) इसे एशिया के ‘विरासत-स्थलों में स्थान मिला क्योंकि
(i) नष्ट हो जाने का ख़तरा है
(ii) सबसे विकसित सभ्यता है
(iii) इतिहास में इसका नाम सर्वोपरि है
(iv) यहाँ विकास की तीन परतें मिली हैं
(घ) पुरातत्त्व-विशेषज्ञ राखीगढ़ी में विशेष रुचि ले रहे हैं क्योंकि
(i) काफ़ी प्राचीन और बड़ी सभ्यता हो सकती है
(ii) इसका समुचित अध्ययन शेष है
(iii) उत्खनन का कार्य अभी अधूरा है
(iv) इसके बारे में अभी-अभी पता लगा है
(ङ) उपयुक्त शीर्षक होगा
(i) राखीगढ़ी : एक सभ्यता की संभावना
(ii) सिंधु घाटी सभ्यता
(iii) विलुप्त सरस्वती की तलाश
(iv) एक विस्तृत शहर राखीगढ़ी
3.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए : 1×5=5
एक दिन तने ने भी कहा था, जड़ ? जड़ तो जड़ ही है; जीवन से सदा डरी रही है,
और यही है उसका सारा इतिहास कि ज़मीन में मुँह गड़ाए पड़ी रही है; लेकिन मैं ज़मीन से ऊपर उठा, बाहर निकला, बढ़ा हूँ,
मज़बूत बना हूँ, इसी से तो तना हूँ,
एक दिन डालों ने भी कहा था,
तना ? किस बात पर है तना ?
जहाँ बिठाल दिया गया था वहीं पर है बना;
प्रगतिशील जगती में तिल-भर नहीं डोला है
खाया है, मोटाया है, सहलाया चोला है;
लेकिन हम तने से फूटी, दिशा-दिशा में गयीं
ऊपर उठीं, नीचे आयीं
हर हवा के लिए दोल बनीं, लहराईं,
इसी से तो डाल कहलाईं।
(पत्तियों ने भी ऐसा ही कुछ कहा, तो …)
एक दिन फूलों ने भी कहा था,
पत्तियाँ ? पत्तियों ने क्या किया ?
संख्या के बल पर बस डालों को छाप लिया,
डालों के बल पर ही चल-चपल रही हैं,
हवाओं के बल पर ही मचल रही हैं;
लेकिन हम अपने से खुले, खिले, फूले हैं –
रंग लिए, रस लिए, पराग लिए – हमारी यश-गंध दूर-दूर-दूर फैली है, भ्रमरों ने आकर हमारे गुन गाए हैं, हम पर बौराए हैं।
सब की सुन पाई है, जड़ मुसकराई है !
(क) तने का जड़ को जड़ कहने से क्या अभिप्राय है ?
(i)मज़बूत है
(ii)समझदार है
(iii) मूर्ख है
(iv)उदास है
(ख) डालियों ने तने के अहंकार को क्या कहकर चूर-चूर कर दिया ?
(i) जड़ नीचे है तो यह ऊपर है
(ii) यों ही तना रहता है
(iii) उसका मोटापा हास्यास्पद है
(iv) प्रगति के पथ पर एक क़दम भी नहीं बढ़ा
(ग) पत्तियों के बारे में क्या नहीं कहा गया है ?
(i) संख्या के बल से बलवान् हैं
(ii) हवाओं के बल पर डोलती हैं
(iii) डालों के कारण चंचल हैं
(iv) सबसे बलशाली हैं
(घ) फूलों ने अपने लिए क्या नहीं कहा ?
(i) हमारे गुणों का प्रचार-प्रसार होता है
(ii) दूर-दूर तक हमारी प्रशंसा होती है
(iii) हम हवाओं के बल पर झूमते हैं
(iv) हमने अपना रूप-स्वरूप ख़ुद ही सँवारा है
(ङ) जड़ क्यों मुसकराई ?
(i) सबने अपने अहंकार में उसे भुला दिया
(ii) फूलों ने पत्तियों को भुला दिया
(iii) पत्तियों ने डालियों को भुला दिया
(iv) डालियों ने तने को भुला दिया
4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
ओ देशवासियो, बैठ न जाओ पत्थर से, ओ देशवासियो, रोओ मत तुम यों निर्झर से,
दरख्वास्त करें, आओ, कुछ अपने ईश्वर से वह सुनता है
ग़मज़दों औररंजीदों की। जब सार सरकता-सा लगता जग-जीवन से अभिषिक्त करें, आओ,
अपने को इस प्रण से – हम कभी न मिटने देंगे भारत के मन से दुनिया ऊँचे आदर्शों की,
उम्मीदों की साधना एक युग-युग अंतर में ठनी रहे यह भूमि बुद्ध-बापू से सुत की जनी रहे;
प्रार्थना एक युग-युग पृथ्वी पर बनी रहे यह जाति योगियों, संतों
और शहीदों की।
(क) कवि देशवासियों को क्या कहना चाहता है ?
(i) निराशा और जड़ता छोड़ो
(ii) जागो, आगे बढ़ो
(iii) पढ़ो, लिखो, कुछ करो
(iv) डरो मत, ऊँचे चढ़ो
(ख) कवि किसकी और किससे प्रार्थना की बात कर रहा है ?
(i) भगवान और जनता
(ii) दुखी लोग और ईश्वर
(iii) देशवासी और सरकार
(iv) युवा वर्ग और ब्रिटिश सत्ता
(ग) कवि भारतीयों को कौन-सा संकल्प लेने को कहता है ?
(i) हम भारत को कभी न मिटने देंगे
(ii) जीवन में सार-तत्त्व को बनाए रखेंगे
(iii) उच्च आदर्श और आशा के महत्त्व को बनाए रखेंगे
(iv) जग-जीवन को समरसता से अभिषिक्त करेंगे
(घ) ‘यह भूमि बुद्ध-बापू से सुत की जनी रहे’ – का भाव है
(i) इस भूमि पर बुद्ध और बापू ने जन्म लिया
(ii) इस भूमि पर बुद्ध और बापू जैसे लोग जन्म लेते रहें
(iii) यह धरती बुद्ध और बापू जैसी है
(iv) यह धरती बुद्ध और बापू को हमेशा याद रखेगी
(ङ) कवि क्या प्रार्थना करता है ?
(i) योगी, संत और शहीदों का हम सब सम्मान करें
(ii) युगों-युगों तक यह धरती बनी रहे
(ii) धरती माँ का वंदन करते रहें
(iv) भारतीयों में योगी, संत और शहीद अवतार लेते रहें
खण्ड ख
5.निर्देशानुसार उत्तर दीजिए :
(क) वे उन सब लोगों से मिले, जो मुझे जानते थे । (सरल वाक्य में बदलिए)
(ख) पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में निकलते हैं । (वाक्य का भेद लिखिए)
(ग) आषाढ़ की एक सुबह एक मोर ने मल्हार के मियाऊ-मियाऊ को सुर दिया था ।
6.(संयुक्त वाक्य में बदलिए) निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए :
(क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है । (कर्मवाच्य में)
(ख) फ़ाख़्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है । (कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था । (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था । (कर्तृवाच्य में)
7.निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए :
मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता है, बल्कि वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है ।
8.(क) निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उनमें निहित रस पहचानकर लिखिए :
(i) उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है, पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दंड और प्रचंड है । अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं, तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं
(ii) वह आता –दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक, चल रहा लकुटिया टेक
(ख) (i) शृंगार रस का स्थायी भाव लिखिए । (ii) निम्नलिखित काव्यांश में स्थायी भाव क्या है ?
कब वै दाँत दूध कै देखौं, कब तोते, मुख बचन झरे । कब नंदहिं बाबा कहि बोले, कब जननी कहि मोहिं ररै ।
खण्ड ग
9. निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
पुराने ज़माने में स्त्रियों के लिए कोई विश्वविद्यालय न था । फिर नियमबद्ध प्रणाली का उल्लेख आदि पुराणों में न मिले तो क्या आश्चर्य ? और, उल्लेख उसका कहीं रहा हो, पर नष्ट हो गया हो तो ? पुराने ज़माने में विमान उड़ते थे । बताइए उनके बनाने की विद्या सिखाने वाला कोई शास्त्र ! बड़े-बड़े जहाज़ों पर सवार होकर लोग द्वीपांतरों को जाते थे । दिखाइए, जहाज़ बनाने की नियमबद्ध प्रणाली के दर्शक ग्रंथ ! पुराणादि में विमानों और जहाज़ों द्वारा की गई यात्राओं के हवाले देखकर उनका अस्तित्व तो हम बड़े गर्व से स्वीकार करते हैं, परंतु पुराने ग्रंथों में अनेक प्रगल्भ पंडिताओं के नामोल्लेख देखकर भी कुछ लोग भारत की तत्कालीन स्त्रियों को मूर्ख, अपढ़ और गँवार बताते हैं ।
(क) पुराणों में नियमबद्ध शिक्षा-प्रणाली न मिलने पर लेखक आश्चर्य क्यों नहीं मानता ?
(ख) जहाज़ बनाने के कोई ग्रंथ न होने या न मिलने पर लेखक क्या बताना चाहता है ?
(ग) शिक्षा की नियमावली का न मिलना, स्त्रियों की अपढ़ता का सबूत क्यों नहीं है ?
(क) मन्नू भंडारी ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा है ?
(ख) अंतिम दिनों में मन्नू भंडारी के पिता का स्वभाव शक्की हो गया था, लेखिका ने इसके क्या कारण दिए ?
(ग) बिस्मिल्ला खाँ को ख़ुदा के प्रति क्या विश्वास है ?
(घ) काशी में अभी-भी क्या शेष बचा हुआ है ?
(ङ) कौसल्यायन जी के अनुसार सभ्यता के अंतर्गत क्या-क्या समाहित है ?
तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ आवाज़ से राख जैसा कुछ गिरता हुआ तभी मुख्य गायक को ढाढ़स बँधाता कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
(क) ‘बैठने लगता है उसका गला’ का क्या आशय है ?
(ख) मुख्य गायक को ढाढ़स कौन बँधाता है और क्यों ?
(ग) तार सप्तक क्या है ?
(क) ‘कन्यादान’ कविता में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है ?
(ख) माँ का कौन-सा दुख प्रामाणिक था, कैसे ?
(ग) ‘जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण’ – कथन में कवि की वेदना और चेतना कैसे व्यक्त हो रही है ?
(घ) ‘धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा’ – के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए।
(ङ) काव्यांश के आधार पर परशुराम के स्वभाव की दो विशेषताओं पर सोदाहरण टिप्पणी कीजिए।
13.आप चैन की नींद सो सकें इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं’ – एक फ़ौजी के इस कथन पर जीवन-मूल्यों की दृष्टि से चर्चा कीजिए ।
खण्ड घ
14.निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए :
(क) विज्ञापन की दुनिया
(ख) भ्रष्टाचार-मुक्त समाज
(ग) पी.वी. सिंधु – मेरी प्रिय खिलाड़ी
16.अपनी दादी की चित्र-प्रदर्शनी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखते हुए उन्हें बधाई-पत्र लिखिए ।
अथवा
अपनी योग्यताओं का विवरण देते हुए प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए अपने जिले के शिक्षा-अधिकारी को आवेदन-पत्र लिखिए ।
ऐसा कोई दिन आ सकता है, जबकि मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा । प्राणिशास्त्रियों का ऐसा अनुमान है कि मनुष्य का यह अनावश्यक अंग उसी प्रकार झड़ जाएगा, जिस प्रकार उसकी पूँछ झड़ गई है । उस दिन मनुष्य की पशुता भी लुप्त हो जाएगी । शायद उस दिन वह मारणास्त्रों का प्रयोग भी बंद कर देगा । तब तक इस बात से छोटे बच्चों को परिचित करा देना वांछनीय जान पड़ता है कि नाखून का बढ़ना मनुष्य के भीतर की पशुता की निशानी है और उसे नहीं बढ़ने देना मनुष्य की अपनी इच्छा है, अपना आदर्श है । बृहत्तर जीवन में अस्त्र-शस्त्रों को बढ़ने देना मनुष्य की पशुता की निशानी है और उनकी बाढ़ को रोकना मनुष्यत्व का तकाज़ा । मनुष्य में जो घृणा है, जो अनायास-बिना सिखाए-आ जाती है, वह पशुत्व का द्योतक है और अपने को संयत रखना, दूसरों के मनोभावों का आदर करना मनुष्य का स्वधर्म है । बच्चे यह जानें तो अच्छा हो कि अभ्यास और तप से प्राप्त वस्तुएँ मनुष्य की महिमा को सूचित करती हैं ।